राजिम (गरियाबंद) । 4 जून को देश के आम चुनाव के परिणाम आने व इसके पश्चात साय मंत्रिमंडल में फिर बदल के तुरंत बाद ही प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी में प्रशासनिक अमला जुट जाएगा। प्रदेश के पिछले निकाय चुनाव 2019 के लिए 30 नवंबर को अधिसूचना जारी किए गए थे 21 दिसंबर को मतदान और 24 दिसंबर को मतगणना हुई थी।
प्रदेश में निकाय चुनाव अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से ही प्रत्यक्ष तौर पर होते रहा ,भाजपा अपने 15 वर्षीय शासन काल में इस परंपरा को बनाए रखा किंतु 2018 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ तात्कालिक भूपेश बघेल सरकार ने निगम के महापौर और नगर पंचायत व नगर पालिका के अध्यक्ष के चुनाव के नियमों में संशोधन कर अध्यक्ष चुने का अधिकार पार्षदों के हवाले कर दिया था। 2019 के चुनाव संशोधित नियमों के तहत अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए थे, हालांकि इस सिस्टम के तहत चुनाव तो निपटा लिए गए थे लेकिन अध्यक्ष चुनाव के इस सिस्टम से ना तो जनता खुश थी और नहीं नेता।
प्रदेश के 2023 के विधानसभा चुनाव में पुनः सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सत्तारुढ़ होते ही निकाय चुनाव नियमों में पुनः संशोधन कर पुरानी चुनावी प्रक्रिया की बहाली की अटकलें शुरू हो गई थी और अंततः भाजपा के अंदर खाने से जो रिपोर्ट छनकर आ रही है उसके मुताबिक यह माना जा रहा है कि निकायों के आगामी चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली और ईवीएम के द्वारा कराए जाने के लिए प्रदेश पदस्थ साय सरकार लगभग पूरी तरह मन बना चुकी है, और आगामी कुछ दिनों के भीतर कैबिनेट में इस मसले पर फैसला ले मानसून सत्र के दौरान नियम में संशोधन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
माई छत्तीसगढ़ टाइम्स ने निकायों से जुडें जनप्रतिनिधियों से इस संबंध में चर्चा की तो लगभग 90 से 95 फ़ीसदी लोगों ने मौजूदा चुनाव प्रणाली को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि इस प्रणाली में' हॉर्स ट्रेडिंग ' की संभावना अधिक होती है और इससे एक स्वेछाचारी - निरंकुश नेतृत्व का उदय होता है, जिसका खामियाजा नगर व वहां की जनता को भुगतना पड़ता है विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित होता है ।इस संबंध में...पृथक राजिम जिला के समर्थन में ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित करने वाली दूसरी मर्तबा अध्यक्ष की आसंदी शोभित कर रही रेखा जितेंद्र सोनकर ने अध्यक्ष निर्वाचन के लिए प्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया की वकालत करते हुए कहा इस प्रक्रिया से एक योग्य और सक्षम जनप्रतिनिधि चुनकर आता है जो नगर विकास के लिए कही अधिक जवाबदेह होता है। इसके विपरीत पार्षदों द्वारा चुने गए अध्यक्ष के समक्ष काम करने के अवसरों से अधिक चुनौतियां होती है परिणाम स्वरूप नगर विकास व जनकल्याणकारी कार्यक्रम बुरी तरह प्रभावित होता है।नगर पंचायत फिंगेश्वर की पार्षद सुनीता श्रीवास ने अध्यक्ष चुनाव के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रक्रिया को बेहतर बताते हुए कहा कि इससे एक योग्य व जिम्मेदार जनप्रतिनिधि चुनकर आता है जिसके लिए सभी वार्डो व वहां के सभी नागरिकों के हितो के लिए समभावपूर्ण दृष्टिकोण होता है इस निर्वाचन प्रक्रिया से समूचे नगर में सौहार्दमय वातावरण रहता है , जिसके चलते विकास की संभावना अधिक होती है।वही अप्रत्यक्ष चुनाव स्थानीय सत्ता को केंद्रीयकृत और निरंकुश बना देता है।नगर पंचायत राजिम के पार्षद राकेश माण्ड्रे ने कहा नगरीय निकाय अध्यक्ष चुनाव प्रत्यक्ष होना चाहिए, सीधा जनता अपने मत से चुन सके यह बहुत आवश्यक है, ऐसा इस लिए की पार्षदों के द्वारा चुना हुआ अध्यक्ष सिर्फ अपने वार्ड को ही महत्त्व देता है क्योंकि उहें वोट उनके वार्ड वासियों ने दिया है पूरे नगर ने नहीं, वे पार्षद लोगों का का भी बात नहीं मानते अधिकतर अध्यक्ष द्वारा कहा जाता है मैं पैसा खर्चा कर अध्यक्ष बना हूं करके, और बटोरने मे लगा रहता है।अध्यक्ष सीधे जनता के द्वारा नही चुने जाने के कारण भय रहित होकर मनमानी करता है अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रक्रिया से व्यक्ति विशेष का ही विकास होता है नगर का नही ।प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की तरफदारी करते हुए नगर पंचायत राजिम के उपाध्यक्ष के प्रतिनिधि कुलेश्वर साहू ने कहा कि स्थानीय निकायों में अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होना चाहिए ताकि नगर की जनता जो लगातार अपनों के बीच रहता है और सुख-दुख में उसके साथ देता है उसे चुन सके जिसे नगर का विकास हो सके ऐसा व्यक्ति को जो सरल सीधा और अपने अधिकार के बात रख सके और अध्यक्ष के रूप में एक जनसेवक हो ऐसा सभी चाहते हैं मेरे हिसाब से तो अध्यक्ष चुनाव स्वतंत्र प्रणाली से ही होना चाहिए ।भाजपा राजिम मंडल की मंत्री एवं सांसद प्रतिनिधि खुशी साहू ने कहा नगर पंचायत के विकाश एवं प्रगति हेतु जनता द्वारा अध्यक्ष का चुनाव अति आवश्यक है। क्यूकि यहां चुनाव नगर पंचायत की आम जनता अपने विकाश कार्यों को ध्यान में रखकर करती है।प्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया से भ्रष्टाचार कम होगा और शहर का चहुंमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा इसलिए नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव आम जनता द्वारा चुना जाना चाहिए। इसका सीधा सा फार्मूला है ' जनता के लिए - जनता के द्वारा ' ।नगर पंचायत राजिम के पूर्व अध्यक्ष पवन सोनकर का कहना है कि अध्यक्ष का चुनाव सीधी जनता के द्वारा होना चाहिए, जिससे जनता एक योग्य व अपना पसंदीदा अध्यक्ष चुन सके प्रत्यक्ष चुनाव होने से अध्यक्ष पार्षदों के दबाव में नहीं रहता वह नगर का सर्वांगीण विकास कार्य अधिक से अधिक करता है अप्रत्यक्ष चुनाव होने से जनता का अधिकार का हनन होता है l