सीएम साय के शीर्ष नेताओं से मुलाकातों के बाद
मंत्रीमंडल के विस्तार अटकलें तेज...?
आधे दर्जन से अधिक नाम चर्चा में...!
डेकेश्वर (डीके) ठाकुर
रायपुर (छत्तीसगढ़) ।
दिसंबर 2023 में विष्णु देव साय सरकार के गठन के 6 महीने के बाद मुख्यमंत्री साय के प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, पीएम नरेंद्र मोदी, ग्रहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित तमाम शीर्ष नेताओं से मुलाकातों के बाद प्रदेश में मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ प्रदेश के निगम, मंडल, आयोगों के साथ प्राधिकरणों में नियुक्ति के लिए अटकलें तेज हो गई है मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफा के बाद अब दो मंत्रियों की जगह खाली हो गई है और इसके लिए नए व पुराने विधायकों में से लगभग आधे दर्जन से अधिक नाम चर्चा में है जिसमें पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल , राजेश मुणत, अजय चंद्राकर धरमलाल कौशिक लता उसेंडी, पुन्नुलाल मोहिले, धरमलाल कौशिक सहित नए विधायक गजेंद्र यादव ,पुरंदर मिश्रा ,गुरु खुशवंत साहेब, मोतीलाल साहू,किरण देव आदि के नाम प्रमुख है । नि:संदेह ही इन नामो में से किसी दो नाम का चयन काफी चुनौती पूर्ण कार्य है क्योंकि सभी नामो के पीछे अपने असरदार राजनीति पृष्ठभूमि के साथ सामाजिक समीकरण भी है। विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से प्रदेश में केवल 12 ही मंत्री बनाए जा सकते हैं इस लिहाज से उपरोक्त नाम में से केवल है दो ही नाम पर मुहर लग सकती है । लेकिन मंत्रियों के 6 महीनो के रिपोर्ट कार्ड लोकसभा चुनाव में उनके क्षेत्र में परफॉर्मेंस के साथ बलौदा बाजार कांड जैसे अहम मुद्दे विस्तार के दौरान गौर किये गये तो 1-3 मौजूदा मंत्रियों पर गाज गिरने की पूरी संभावना है ऐसे में पुरंदर मिश्रा, मोतीलाल साहू, गुरु खुशवंत साहेब गजेंद्र यादव की लॉटरी लग सकती है।
संभागवार वसामाजिक समीकरणों के आधार पर मौजूदा मंत्रीमंडल का क्या है स्वरूप और क्या बन सकती संभावना....?
यदि वर्तमान मंत्रिमंडल की बात करें तो सरगुजा संभाग से चार बिलासपुर से तीन दुर्ग से दो रायपुर और बस्तर संभाग से एक - एक विधायक को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिला हुआ है ,यदि संभागीय संतुलन की दृष्टि से देखें तो रायपुर व बस्तर संभाग से एक-एक मंत्री बनाए जाने की पूरी गुंजाइश है। वही साय मंत्रिमंडल में पिछड़ा वर्ग के सर्वाधिक छै: अनुसूचित जनजाति के तीन अनुसूचित जाति व सामान्य वर्ग के एक- एक प्रतिनिधि शामिल है इस सामाजिक ताने-बाने के संतुलन के लिए यहां भी एक समान्य व एक एससी के लिए संभावना दिखती है ,जिसमें समान वर्ग से अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, पुरंदर मिश्रा,किरण देव में से किसी एक को ही एडजेस्ट किया जा सकता है वही एससी वर्ग से पूर्व मंत्री पुन्नुलाल मोहिले और गुरु खुशवंत साहेब विधायक आरंग में से किसी एक को मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने की प्रबल संभावना है इसके साथ ही पिछड़ा वर्ग से चर्चित नाम पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ,पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर , रायपुर ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू के लिए संभावना तभी बन पाएगी जब मंत्रिमंडल में परफॉर्मेंस के आधार पर कुछ नए मंत्रियों को हटाए जाएंगे और मंत्रियों के संभागवार कोटे पुनर्निर्धारण होगा ।बता दे कि महिला कोटे से पूर्व मंत्री लता उसेंडी भी दौड़ मे शामिल है।
क्या है नामो पर दावो के पीछे का दम.....
?**अमर अग्रवाल** :- छत्तीसगढ़ भाजपा के पितृ पुरुष कहे जाने वाले स्व. लखी राम अग्रवाल के पुत्र हैं पूर्व मंत्री के रूप में अहम विभागों के मंत्रालय संभालने का लंबा अनुभव , दशको की राजनीतिक पारी के बावजूद वेदाग छवि । लोकसभा चुनाव में अपने बिलासपुर विधानसभा से भाजपा को सर्वाधिक 52445 मतो की बढ़त दिलाने में बड़ी भूमिका ।
**पुरंदर मिश्रा** :- रायपुर उत्तर के विधायक, प्रदेश के 9 जिलों में निवासरत् लगभग 15 लाख उड़िया मतदाताओं का प्रभावी नेतृत्व, विधानसभा के लिए जयदेव सत्पथी, लक्ष्मण सत्पथी, डॉक्टर त्रिविक्रम भोई के बाद समाज से निर्वाचित होने वाले चौथे विधायक हैं। प्रदेश में जातिय संख्या के आधार पर साहू - यादव के बाद तीसरा बड़ा समाज होने और उड़ीसा के विधानसभा चुनाव में कड़े पर परिश्रम के साथ प्रभावी भूमिका के चलते इनका दावा भी मजबूत माना जा रहा है ।
**राजेश मूणत** :- रायपुर पश्चिम के तेज - तर्रार छबि के विधायक रमनसिंह मंत्रीमंडल में कार्य करने का लंबा अनुभव, बिजनेस कम्युनिटी के साथ गुजराती समाज का प्रतिनिधित्व, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमनसिंह के सर्वाधिक विश्वस्त सिपहसलारों में से एक, लोकसभा चुनाव में कलस्टर प्रभारी के रूप में उल्लेखनीय उपलब्धि ।
**मोतीलाल साहू** :- क्वांटिफाइबल उत्तर आयोग की लीक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की पिछड़ा वर्ग मेंलगभग 31 लाख की आबादी वाले साहू समाज के सर्वाधिक जानाधार वाले पूर्व अध्यक्ष निर्विवाद -बेदाग छबि के नेता बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की परंपरागत रायपुर ग्रामीण से निर्वाचित विधायक हैं इनके मामले में काबिले का और पहलु यह है कि रायपुर दुर्ग संभाग की लगभग 18 सीटों पर साहू समाज के मतदाता निर्णायक तादात में है यहां कुछेक सीटों को छोड़ दे तो सभी पर भाजपा विधायक है और इन क्षेत्रों से लोकसभा चुनाव में भाजपा को निर्णायक बढ़त भी मिली है इन क्षेत्रों में इनकी तगड़ी जमीनी पकड़ मानी जाती है ऐसे में मोतीलाल को मंत्री बना भाजपा इन दोनों संभागों के साहू समाज के मतदाताओं साधे रखने की गरज से मोतीलाल के नाम पर संजीदगी के साथ शीर्ष नेतृत्व विचार कर सकती है । लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को एक लाख से अधिक (1,7,609) रिकॉर्ड मतो से बढ़त दिलाने वाले साहू प्रदेश के इकलौते विधायक है ।
**गजेंद्र यादव** :- प्रदेश की प्रतिष्ठित विधानसभा सीट दुर्ग शहर से पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के पुत्र अरुण वोरा को करारी शिकस्त दे पहिली बार विधायक बने गजेंद्र यादव पिछड़ा वर्ग से संबंधित साहू समाज के बाद दूसरी बड़ी प्रभावशील यादव जाति से आते हैं प्रदेश में साहू मतदाताओं को साधने के बाद भाजपा की नजर अब यादव जाति के मतदाताओं पर है वर्तमान विधानसभा में यादव समाज से कांग्रेस में तीन विधायक हैं जबकि भाजपा में गजेंद्र यादव अकेले विधायक हैं क्वांटीफायबल डाटा आयोग की लिक रिपोर्ट के अनुसार भी इनका नाम फिट बैठता है, इस लिहाज से यादव को मंत्रिमंडल विस्तार में लाभ मिलना तय माना जा रहा है । बता दे कि गजेंद्र यादव संघ के पूर्व प्रांत प्रमुख रहे बिसराराम यादव के पुत्र हैं ।
**अजय चंद्राकर** :- पिछड़ा वर्ग के कर्मी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले दबंग , मुखर वक्ता पूर्व मंत्री, संसदीय कार्य का खासा अनुभव व फ्लोर मैनेजमेंट में माहिर अजय चंद्राकर का लोकसभा चुनाव में भी अपने कलस्टर प्रभार वाले क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन रहा, ऐसा माना जा रहा है कि सदन में बृजमोहन अग्रवाल की कमी को पूरा करने अजय चंद्राकर को एक बार फिर मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है ।
**धरमलाल कौशिक** :- बिलासपुर जिले के बिल्हा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले व पिछड़ा वर्ग से तालुक रखने वाले कौशिक अब तक सत्ता - संगठन में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, बीज एवं कृषि विकास निगम अध्यक्ष जैसे अहम पदो पर कार्य कर चुके हैं । सत्ता संगठन में इनके दशकों के निर्विवाद कार्यकाल और अनुभवो के मद्देनजर मंत्रिमंडल के आगामी विस्तार में इनके नाम पर हो रही चर्चाओं को दरकिनार नहीं किया जा सकता ।
**पुन्नूलाल मोहले गुरु खुशवंत साहेब**
बलौदा बाजार कांड के बाद से उपजे हालातो और असंतोषो के डैमेज कंट्रोल के मद्देनजर सतनामी समाज से संबंधित एक विधायक को मंत्रीमंडल में शामिल किए किया जाना तय माना जा रहा हैं बतौर विकल्प दो नाम चर्चे में है जिसमें पूर्व मंत्री, मुंगेली विधायक पन्नुलाल मोहिले व आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब है । खुशवंत साहेब सतनामी समाज में तगड़ी पैठ रखने वाले धर्मगुरु बालदास साहेब के पुत्र है ,वही रमन कैबिनेट में तीन दफे मंत्री रहे चार बार सांसद और छै: बार विधायक निर्वाचित हो अपने सियासी जीवन की नाबाद पारी खेलने वाले मोहिले के संबंध में कहा जाता है कि ये जितनी पकड़ अपने समाज में रखते हैं उसेे कहीं ज्यादा पैठ दिगर समाज में भी रखते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात यदि कैबिनेट के इतिहास पर नजर डालें तो सभी कैबिनेट में सतनामी समाज से दो प्रतिनिधि मंत्री के रूप में शामिल किए गये थे। रमन सिंह के कार्यकाल वाली पहली वह दूसरी कैबिनेट में पुन्नुलाल मोहिले एवं डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी रहे, तो तीसरे कार्यकाल में पुन्नूलाल मोहिले के साथ दयालदास बघेल मंत्री रहे ।2018 के कांग्रेस सरकार में भी इस समाज से डॉक्टर शिवकुमार डहरिया व गुरु रुद्रकुमार मंत्री बनाए गए थे मौजूदा विष्णुदेव साय कैबिनेट में दयालदास बघेल एकमात्र मंत्री शामिल किए गए हैं इस लिहाज से समाज को एक और मंत्री पर मिलना तय माना जा रहा है यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि आलाकमान के तयशुदा मापदंडों में मोहिले फिट बैठते हैं या गुरु खुशवंत साहेब..?
**लता उसेंडी** :- भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, रमन कैबिनेट की पूर्व मंत्री, कोंडागांव विधायक है अनुसूचित जनजाति महिला वर्ग से आती है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के बस्तर संभाग में बेहतर प्रदर्शन का लाभ मिलने की उम्मीद के चलते लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बदले हुए हालातो के बाद महिला वर्ग से लता उसेंडी अनुसूचित जनजाति महिला वर्ग से आती है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के बस्तर संभाग में बेहतर प्रदर्शन का लाभ मिलने की उम्मीद के चलते व लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बदले हुए हालातो के बाद महिला वर्ग से इकलौती महिला दावेदार के रूप में सुर्खियों में है।
**किरण देव** :- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के साथ बस्तर संभाग के एकमात्र सामान्य विधानसभा सीट जगदलपुर के विधायक हैं ,लोकसभा चुनाव के पूर्व भाजपा आलाकमान के अप्रत्याशित फैसले के तहत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे ।और बीते लोकसभा चुनाव में बस्तर संभाग की दोनों सीटें बीजेपी की झोली में डाल गृहमंत्री अमित शाह के गुड बुक में शामिल हुए किरण देव के बारे में कहा जा रहा है कि भले ही इनका नाम ज्यादा सुर्खियों में नहीं है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की भांति किसी अप्रत्याशित फैसले के तहत यदि मंत्री बना दिए जाते हैं तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा ।
परंपरा और अनुमानों से परंपरा परे भाजपा के अप्रत्याशित फैसलों के नये * ट्रेंड * से दावेदारों के साथ सियासी पंडित भी पशोपेश में....
2023 के विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक के यदि भाजपा आलाकमान के फैसलों पर गौर करें तो उसने अपने हर फैसलों से अपने कार्यकर्ताओं नेताओं को ही नहीं अपितु सियासी पंडितों को भी चौकाया है विधानसभा चुनाव में ऐसे प्रत्याशियों को उतारा जिसकी कल्पना किसी को भी नहीं थी, विष्णुदेव साय, मोहन यादव, और भजनलाल शर्मा ऐसे नाम थे जो सीएम की रेस में दूरों तक कही नजर नहीं आते थे। मंत्रिमंडल गठन के दौरान जिन धुरंधर नेताओं के नाम चर्चा में शुमार थे उनमें से अधिकतर नाम शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सूची से गायब मिले मोदी केबिनेट के गठन के दौरान पार्टी के नेता व रणनीतिकार सांसद विजय बघेल संतोष पांडे, बृजमोहन अग्रवाल के नामों में उलझे रहे, लेकिन शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रण मिला प्रदेश के नए नवेले सांसद तोखन साहू को। भाजपा के इन फैसलों से दो बातें स्पष्ट रूप से नजर आती है- पहली भाजपा व संघ के मध्य मचे अंतर्द्वंदों के तमाम खबरों के बावजूद सीएम - मंत्रिमंडल से लेकर केंद्रीय मंत्री तक के चयन में संघ की स्पष्ट छाप नजर आती है तो वहीं दूसरी और द्वितीय पंक्ति के नए चेहरों को पर्याप्त अवसर देने के साथ फ्रंट लाइन में लाने से भाजपा को कोई गुरेज भी नहीं रहा और इसके तहत् ही आगामी मंत्रीमंडल विस्तार के लिए जहां दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव का नाम फाइनल माना जा रहा हैं तो वहीं आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब का नाम भी लगभग फाइनल होने के करीब है ।
यदि अटकलें और क्यों से परे भाजपा सूत्रों के हवाले से मिल रही खबरों पर गौर करें तो यह कहा जा रहा है कि आगामी कुछ महीनों के भीतर प्रदेश की सत्ता- संगठन- सदन तक अमूलचूल फेरबदल के लिए पार्टी आलाकमान द्वारा छत्तीसगढ़ के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है ताकि वरिष्ठ एवं कनिष्ठ नेताओं व विधायक के मध्य संतुलन की स्थिति स्थापित की जा सके इस फार्मूले के तहत प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता को राज्यपाल बनाये जाने के भी संकेत हैं तो कुछ वरिष्ठ विधायकों को बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र, ग्रामीण विकास, अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण मैं एडजस्ट किया जाने की तैयारी है वही शेष बचे नेताओं को प्रदेश के अहम निगम- मंडल -आयोगों में बिठाने के साथ कुछ नये विधायकों को संसदीय सचिव बना संतुलन स्थापित किया जाना तय है। इन नियुक्तियों के चलते भाजपा के प्रदेश संगठन में उथल - पुथल की संभावनाओं से भी इंकार नही किया जा रहा है ।