गरियाबंद (छत्तीसगढ़) । पं. श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल,संत पवन दीवान,अजीत जोगी जैसे हाईप्रोफाइल राजनेताओं की रणभूमि महासमुंद लोकसभा क्षेत्र की गिनती सदैव ही 'हाट ' सीट के रूप में होते रही है और इस सीट पर अधिकतर कांग्रेस पार्टी के साथ सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व रहा जनसांख्यिकीय विविधताओं से परिपूर्ण 17,53,230 मतदाताओं वाले की सीट पर सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला 51फीसदी पिछड़ा वर्ग (जिसमें, साहू,कुर्मी,यादव, अघरिया पटेल, मरार पटेल सहित अन्य जातियां शामिल हैं), 26 फीसदी अनुसूचित जनजाति 12 फ़ीसदी सामान्य वर्ग एवं 11 फ़ीसदी अनुसूचित जाति का है लगभग 6 दशकों से हाईप्रोफाइल सीट के रुपमें चर्चित होने के बावजूद भी यह क्षेत्र औद्योगिक दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ माना जाता है 3 जिलों के 8 विधानसभा क्षेत्रों को समेटे इस क्षेत्र की अधिकतर आबादी कृषि पर ही निर्भर है । छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पूर्व यहां शुक्ल बंधुओं का एक तरफा दबदबा हुआ करता था जो राज्य गठन के पश्चात कायम न रह सका इसके बाद से यहां हुए चुनाव के परिणाम और मतदाताओं के मिजाज काफी चौंकाने वाले रहे जिसके चलते यहां के सियासी बिसात पर विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी, पवन दीवान के साथ साहू समाज के दिग्गजों धनेंद्र साहू ,मोतीलाल साहू को भी मात खानी पड़ी।
2004 के चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी ने भाजपा के विद्याचरण शुक्ल को 1,18,505 मतो से करारी शिकस्त दी थी। 2009 के चुनाव में भाजपा के चंदूलाल साहू के मुकाबले में कांग्रेस ने साहू समाज के व्यापक जन आधार वाले दिग्गज नेता रायपुर संसदीय क्षेत्र निवासी मोतीलाल साहू को मैदान में उतारा इस चुनाव भाजपा ने 'स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी ' का कार्ड खेल यहां अपना चुनावी परचम फहराने में कामयाब रही, मुकाबले में भाजपा के चंदूलाल साहू ने कांग्रेस के मोतीलाल साहू को 51,475 मतो के अंतर से पराजित किया। 2014 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की इसी सीट पर फिर से आमद हुई उनके मुकाबले में भाजपा ने अपने सांसद चंदूलाल साहू को रिपीट किया, जोगी की नायाब सियासी बाजीगरी के चलते यह 'हॉट ' सीट एक बार फिर देश भर सुर्खियों में रहा जोगी ने इस चुनाव में भाजपा के चंदू लाल के मुकाबले में 10 हम नाम चंदूलाल चुने समर में उतार चुनावी मुकाबला को रोचक और चर्चित बना दिया लेकिन जोगी इस सीट पर 2009 से चले 'स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी ' के नए चुनावी ' ट्रेंड ' को भांप नहीं पाए और मुख्य प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी के 10 हम नाम प्रत्याशियों द्वारा 67,208 मतो की कटौती के बावजूद करीबी मुकाबले में जोगी भाजपा के चंदूलाल से 1217 मतो से पराजित हो गए पिछले दो चुनाव चुनाव का नया चुनावी ' ट्रेंड ' तीसरे चुनाव में भी कायम रहा 2019 के इस चुनाव में रायपुर संसदीय क्षेत्र के निवासी साहू समाज के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू को महासमुंद संसदीय क्षेत्र के खल्लारी विधायक चुन्नीलाल साहू ने 90,511मतो के अंतर पराजित किया,' स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी ' के मुद्दे के सहारे इस हाई प्रोफाइल सीट पर यह बीजेपी की हैट्रिक थी।
चुनावों में जातिगत - सामाजिक समीकरणों पर भारी रहा
स्थानीयता - क्षेत्रियता का मुद्दा...
यदि इस संसदीय सीट से 1952 से लेकर अब तक के चुनाव इतिहास पर गौर करें तो तो यह फौरी तौर पर कहा जा सकता है कि चुनावी परिणाम कभी भी सामाजिक समीकरणों पर आधारित नहीं रहा चुनाव के दौरान यहां के मतदाता ' सामाजिक समरसता ' और स्थानीय प्रत्याशी के मुद्दे को ही तवज्जो देते आए है भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू इस सीट पर चार बार चुनाव लड़े और चारों बार उनका मुकाबला सामान्य वर्ग के ही प्रत्याशियों से रहा जिसमें वे तीन बार पराजित हुए और केवल एक बार ही कांग्रेस के अंतर्कलह और गुटबाजी के चलते जीत हासिल कर पाये थे, पृथक राज्य गठन के बाद के चुनावों मे स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा यहां ,का अहम चुनावी फैक्टर रहा. जिसके चलते दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी सहित साहू समाज मजबूत जमीनी पैठ रखने वाले दिग्गज नेता पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू व मोतीलाल साहू को भी यहां स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी के मुद्दे के चलते सामान्य पृष्ठभूमि से तालुकात रखने वाले स्थानीय-क्षेत्रीय प्रत्याशी चंदूलाल साहू व चुन्नीलाल साहू से शिकस्त खानी पड़ी।
हाट सीट पर किसी की प्रतिष्ठा तो
किसी का सियासी भविष्य दांव पर...
देश के 18 वीं संसदीय चुनाव के तहत महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में होने जा रहे प्रतिष्ठा पूर्ण चुनाव दूरगामी प्रभाव वाला होगा इस चुनाव में एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता व सूबे के पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा से जुड़े साहू समाज के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू, मौजूदा सांसद चुन्नीलाल साहू, भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व सांसद चंदूलाल साहू, लोकसभा क्षेत्र के संयोजक -रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू के साथ कद्दावर नेता -पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के सियासी भविष्य दांव पर लगा हुआ हैं यहां का चुनाव परिणाम आगामी दिनों में प्रदेश की सत्ता - संगठन में इन नेताओं की भूमिका - वनवास की दशा और दिशा तय करेगा।
यदि ताम्रध्वज साहू जीतते हैं तो घोटलों, भ्रष्टाचार के आरोपो, के तमाम झंझावतों से जूझते भूपेश बघेल के बतौर विकल्प निर्विवाद, बेदाग एवं सर्वमान्य चेहरे के रूप में कांग्रेस आलाकमान समक्ष होंगे,तो गृहमंत्री रहते हुए बीते विधानसभा दुर्ग ग्रामीण से हारने के बाद 74 वर्षीय साहू कही यहां भी हार जाते हैं तो उम्र के लिहाज से यह उनका अंतिम चुनाव होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
वही दूसरी ओर भाजपा में रूपकुमारी चौधरी की जीत से सूबे के विष्णुदेव साय मंत्रीमंडल के अजेय कद्दावर मंत्री,रायपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के जीत के प्रबल संभावनाओं और साय मंत्रीमंडल में दो नये चेहरे शामिल किए जानेे कयासों के बीच पूर्व मंत्री - कुरुद विधायक अजय चंद्राकर का मंत्रीमंडल में पुर्नवापसी के द्वार खोलने वाला साबित होने के साथ महासमुंद के तीन पूर्व सांसदों क्रमशः चंद्रशेखर साहू, चुन्नीलाल साहू, चंदूलाल साहू व रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू के लिए प्रदेश के कैबिनेट - राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त निगम-मंडल - आयोगो के नियुक्तियों में मजबूत दावे का आधार भी होगा।