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: रेत माफिया नदी को 8 से 10 फीट गहराई तक कर रहे खुदाई

Admin

Mon, Apr 22, 2024
नदी के छाती को छलनी कर रेत के अवैध परिवहन पर कोई लगाम नहीं सांतोष सोंकर राजिम (गरियाबंद)  21 अप्रैल। क्षेत्र में पिछले 5-6 महीना से लगातार रेत का अवैध खुदाई व परिवहन जारी है जिस पर लगाम लगाने में प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं हालांकि खनिज विभाग के अधिकारी कार्यवाही करने का दावा करते है। तो फिर नदी के छाती की छलनी लगातार क्यों हो रही है। यह बहुत बड़ा प्रश्न उभर कर आ रहा है इसके चलते सड़कें बैठ गई है। पक्की सड़क में भी गड्ढे का अंबार लगा हुआ है। वर्तमान में शादी सीजन चल रहे हैं जिसके कारण लोगों का आना-जाना बढ़ गया है और कंडम सड़क में चलने से कई लोग गिरकर जिंदगी से हाथ धो रहे हैं। उनकी पीड़ा को सुनने वाला कोई नहीं है। शासन और सरकार के उदासीन रवैया के चलते अवैध कारोबार न की क्षेत्र में बल्कि पूरा जिला में बदस्तूर जारी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजिम क्षेत्र के पीतईबंद, रावड़,परसदा जोशी, हथखोज, चौबेबांधा में रेत घाट संचालित है। यहां से रेत परिवहन की तमाम गाड़ियां राजिम शहर के पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक से होते हुए राजधानी रायपुर दुर्ग भिलाई के लिए निकलती है। लोडिंग हाईवा में कभी ट्रिपाल नहीं ढके रहते हैं तो कभी पानी गिराते हुए सरपट दौड़ती रहती है। शहर के लोग इन गाड़ियों से भयभीत हैं। स्कूली छात्र-छात्राओं के अलावा किसान, मजदूर, व्यापारी सभी वर्ग के लोगों के आंखों से आंसू निकल रहे हैं। बताया जाता है कि विरोध करने पर इन घाटों के माफिया दबंगई पर उतर आते हैं। तथा झूठी केस में फसाने की धमकी भी देते हैं। जिसके चलते विरोध करने वाले सामने नहीं आ रहे हैं और इनका काम सरलता से चल रहा है। जिला प्रशासन के खनिज अधिकारी का कार्य नाकाफी है। कुछ लोगों ने बताया कि क्या बताएं भैया रैम वाले चैन माउंटेन मशीन का उपयोग करते हुए 8 से 10 फीट गहरी खोद रहे हैं और वह रेत को हाईवा में लोडिंग करते हैं। गरियाबंद धमतरी जिला को जोड़ने वाली राजिम परसवानी पुल से भी बिल्कुल सटाकर खुदाई कर रहे हैं। भविष्य में करोड़ों रुपया में बने यह पुल बहुत जल्द खराब हो जाएगा। बताया जाता है कि कहीं-कहीं पर रेत ठेकेदार रात्रि में खुदाई शुरू करते हैं जो सुबह 9:00 बजे तक चलता है। और कुछ घाट पर दिन-रात दोनों समय खुदाई और परिवहन हो रहा है। नदी बहुत जल्द भाठा में तब्दील होने का अनुमान जानकारों की माने तो लगातार रेत उठाव के कारण नदी बहुत जल्द भांठा में तब्दील हो जाएगा। इसका जीता जाता उदाहरण बेलाही पुल के आसपास का क्षेत्र है। पिछले कई वर्षों से यहां रेत उठाव हुआ था जिसके चलते अब रेत नहीं बल्कि भाटा और उसमें घास फूस नजर आते हैं। यही स्थितियां नवीन मेला मैदान के नदी क्षेत्र की भी होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इस नदी में भी पिछले 15 सालों से लगातार रेत उठाया जा रहा है और अब तो यहां भी घास पुरुष का झुरमुट भी बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं। कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के आगे नवागांव एनीकट बनाया गया है। इसको बनाने में ही 30 से 35 करोड़ रूपया खर्च किया गया है। सन् 2015 में एनीकट बनकर तैयार हुआ है। लेकिन बनाया बस गया है पूरे गर्मी तक किसी भी वर्ष यहां पानी को रोका नहीं जाता है। जल संसाधन विभाग धमतरी को पानी रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं है। नतीजा गर्मी के दिनों में जल संकट से यह क्षेत्र जूझता है। हां यह बात बताना जरूरी है कि राजिम कुंभ मेला के समय ही मात्र 15 से 20 दिन तक एनीकट लबालब रहता है उसके बाद तो सुखा ही नजर आता है। ‌ शहर की सड़कें पर 24 घंटे दौड़ रही लोडिंग हाईवा शहर के लोग दैत्याकार लोडिंग हाईवा के सरपट दौड़ने के कारण अपने आप को महफूज नहीं पा रहे हैं। यह विधानसभा मुख्यालय है‌ अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार से लेकर जल संसाधन, लोक निर्माण विभाग के एसडीओ बैठते हैं। जिला मुख्यालय गरियाबंद से तमाम जिले के अधिकारी इसी मार्ग से होकर राजधानी रायपुर तक जाते हैं। विधायक, सांसद से लेकर मंत्री तक इसी मार्ग का उपयोग करते हैं पर अभी तक कोई दिलचस्पी नहीं लिया है ना ही कोई एक्शन मोड पर आया है और यहां के लोग डरे हुए हैं। यह बहुत बड़ा प्रश्न पैदा कर दिया है। ऐसा नहीं है कि इन गाड़ियों के कारण कोई हादसा नहीं हुआ है बल्कि कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है। पिछले दिनों एक किसान सब्जी लेकर शहर की सब्जी मंडी आ रहा था वह चपेट में आते-आते वह मुश्किल बचा है ऐसे ही अनेक उदाहरण आए दिन होते रहते हैं। शहर की भीड़भाड़ वाले चौक जिनमें राजिम भक्तिन माता चौंक, चौबेबांधा तिराहा अटल चौंक, महामाया चौंक, गोवर्धन चौंक, पंडित सुंदरलाल शर्मा चौंक, आमापारा, शिवाजी चौंक, रायपुर रोड, पंडित श्यामाचरण शुक्ल चौंक इत्यादि में बड़ी कसमकश की स्थिति बनी रहती है और रेत गाड़ियां दौड़ती रहती है।

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