रामचरितमानस पंचतंत्र और सहृदयलोक- लोकन को **यूनेस्को के मेमोरी आफ द वर्ल्ड एशिया पेसिफिक रीजनल रजिस्टर** में शामिल किया गया है यह समावेशन भारत के लिए एक गौरव का क्षण है, जिससे देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत और संस्कृततिक विरासत की पुष्टि होती है यह वैश्विक संस्कृततिक संरक्षण की दिशा में हो रहे प्रयासों में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है जो हमारी साझा मानवता को आकार देने वाली विविध कथाओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों को पहचाननेज्ञऔर सुरक्षित रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है इन साहित्यिक उत्कृष्ट कृतियों का सम्मान करके समाज न केवल उन रचनाकारों की रचनात्मक प्रतिभा को श्रद्धांजलि देता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनका गहन ज्ञान और कालातीत शिक्षा भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे और उनकी जानकारियां बढ़ाती रहे।
इन्हें मिली मान्यता...
रामचरितमानस, पंचतंत्र और हृदयलोक- लोकन ऐसी कालजयी रचनाएं हैं जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है इन साहित्यक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठको और कलाकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है उल्लेखनीय है कि सहृदयलोक- लोकन पंचतंत्र और रामचरितमानस की रचना क्रमशः पंडित आचार्य आनंद वर्धन ,विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।