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: मानव सेवा ही ध्येय : पुष्पा देवी ने ले रखा था देहदान और नेत्रदान का प्रण, यह काया अब ज्ञान और अनुभव का बनेगी जरिया 

Admin

Mon, Apr 22, 2024
मानव सेवा ही ध्येय : पुष्पा देवी ने ले रखा था देहदान और नेत्रदान का प्रण, यह काया अब ज्ञान और अनुभव का बनेगी जरिया नवापारा राजिम (मनीष जैन)। शरीर से आत्मा के निकल जाने के बाद शरीर का कोई मोल नहीं रह जाता। अंतिम संस्कार के बाद यह पंच तत्व में विलीन हो जाता है जिससे यह काया बनी होती है । लेकिन, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने बेजान शरीर से दूसरों की मदद करने का संकल्प जीते जी लेते हैं। नगर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जीवन लाल बोथरा परिवार ने त्याग और दान की अनुपम मिशाल पेश की जिसकी नगर में सर्वत्र चर्चा हो रही है। जीवन लाल बोथरा की सबसे छोटी बहु पुष्पा देवी बोथरा (68) धर्मपत्नी नगराज बोथरा का आकस्मिक देहावसान महावीर जन्म कल्याणक के दिन प्रातः 5.40 बजे हो गया। शोक की इस घड़ी में भी बोथरा परिवार के सदस्यों ने अपनी समाज सेवा की प्रवृति को बनाये रखते हुए और जनकल्याण के लिये पुष्पा देवी बोथरा के मरणोपरान्त उनकी नेत्रज्योति और उनकी देह दान का अभूतपूर्व निर्णय लिया। पुष्पा देवी ने स्वयं भी अपने देहदान की इच्छा परिवार के समक्ष रखी थी जिसका उनके परिजनों ने पूरा सम्मान किया और उनकी इच्छानुसार यह कार्य सम्पन्न कराया।सुबह अरविंदो नेत्रालय की टीम ने उनकी नेत्रज्योति को संरक्षित किया। इस दौरान नवापारा की शासकीय अस्पताल के नेत्र संयोजक एस पी देवांगन भी उपस्थित थे। उनकी देहदान की प्रक्रिया शाम 4 बजे पूरी कर के उनके शरीर को बालाजी मेडिकल कॉलेज मोवा, रायपुर के सुपुर्द किया गया। इस पूरी प्रक्रिया को नवापारा नगर की संस्था श्री सिंधु सेवा मंडल के सदस्यों ने रायपुर की अग्रणी संस्था बढ़ते कदम के देहदान प्रभारी राजू झामनानी के सहयोग से सम्पन्न किया।श्री सिंधु सेवा मंडल के सदस्यों ने नगराज बोथरा और बोथरा परिवार के समस्त सदस्यों का आभार व्यक्त किया और सर्व समाज से अपील भी की है कि सभी लोग समाज सेवा के ऐसे कार्यों के प्रति सजग रहें। जिस दिन बहु बनकर किया गृह प्रवेश उसी दिन अंतिम बिदाई कैसा सुखद संयोग है कि पुष्प देवी बोथरा सन 1975 में बोथरा परिवार में बहु बनकर आई थी और जब गृह प्रवेश हुआ था उस दिन भी महावीर जन्म कल्याणक का दिन था और आज जब अंतिम सांस लेकर देह परिवर्तन किया तो महावीर जन्म कल्याणक का पावन दिवस है। क्यों जरूरी है देहदान  मे डिकल कॉलेजों में डॉक्टर बनने वाला हर छात्र मानव शरीर की संरचना को अंदर से देखकर ही प्रैक्टिकल सीखता हैं। मेडिकल ऑपरेशन में जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो उसे सीखने और प्रैक्टिकल कर देखने के लिए मानव शरीर पर प्रयोग किया जाता है। मानव शरीर न मिलने की स्थिति में कई डॉक्टर जटिल ऑपरेशन करने से पहले जानवरों के मृत शरीर पर भी प्रैक्टिकल करते हैं।  

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