: नदा जाहि का- नदा जाहि का हमर * *बोरे अऊ बासी* * आमा के चटनी नदा जाहि का... श्रमिक -दिवस पर विशेष

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Tue, Apr 30, 2024डेकेश्वर (डीके) ठाकुर राजिम (गरियाबंद)। देश के अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ के भी अपने अनेक पारंपरिक व्यंजन- भोजन है जिसे लोग पीढ़ी दर पीढ़ी खाते आ रहे हैं इनमें से एक प्रमुख **बोरे बासी**है छत्तीसगढ़ के मेहनतकश और श्रमिक वर्ग के लोगों का एक प्रमुख पसंदीदा भोजन होता है़ं जो सस्ता, पौष्टिक और काफी स्वास्थ्य वर्धक होता हैं यह गर्मी के दिनों में शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के साथ तरोताजा भी रखता है, अच्छी व गहरी नींद भी इसकी खासियतो में से एक है।
बोरे बासी कहे जाने से एक ही प्रकार के भोजन का बोध होता है लेकिन व्यवहारिक तौर बोरे और बासी अलग - अलग इसके निर्माण प्रक्रिया , गुणो व प्रकृति में अंतर होता हैं। आइए जाने बोरे और बासी में क्या अंतर होता है.....
बासी**-:- - -**> रात में पकाये हुए भोजन के पश्चात जो चांवल बच जाता है उसे सादे पानी में डुबा कर रख दिया इसे ही बासी कहा जाता हैं कई लोग इसमें पके चांवल से निकले माड़ (पसिया) भी मिला देते है आम तौर पर इसका सेवन अगले दिन सुबह के नाश्ते या भोजन के रुप में करते हैं।
बोरे**:---**-> बोरे ताजे बने हुए चांवल (भात) को तत्काल पानी में डुबा कर तैयार किया जाता इसका उपयोग तुरंत या कुछ घंटो के पश्चात भोजन के रुप में कर लिया जाता है।
यदि कोई डायबिटिक पेशेंट है तो चांवल बोरे बासी की जगह कोदो बोरे बासी का प्रयोग करते हैं वही हाई ब्लड प्रेसर के पेशेंट साधरण नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करते है।
- **बोरे बासी की सहायक खाद्य सामाग्रियां**.....
- जैसे साउथ इंडिया का फेमस डिश इडली- डोसा , गुजरात का ढोकला-फाफडा है वैसे ही हमारे छत्तीसगढ़ में फेवरेट **बोरे और बासी** है ,भले ही आज पिज़्ज़ा, चाऊमीन, बर्गर, मैगी आदि के दौर में यह राज्य के कस्बाई इलाकों से गायब होने लगा हैं लेकिन इसके बावजूद राज्य के लगभग 80- 85 फीसदी आबादी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बना हुआ हैं हमारा **बोरे और बासी **|


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